Satyanarayan Aarti Marathi |श्रीसत्यनारायणाची आरती | Exclusive 2024

Satyanarayan Aarti Marathi

Satyanarayan Aarti | श्रीसत्यनारायणाची आरती :

जय जय दीनदयाळा सत्यनारायण देवा |

पंचारति ओंवाळू श्रीपति तुज भक्तिभावा || धृ ||




विधियुक्त पूजुनी करिती पुराण श्रवण

परिमळद्रव्यांसहित पुष्पमाळा अर्पून |

घृतयुत्क शर्करामिश्रींत गोधूमचूर्ण |

प्रसाद भक्षण करिता प्रसन्न तू नारायण || १ ||




शातानंदविप्रें पूर्वी व्रत हें आचरिलें |

दरिद्र दवडुनि अंती त्यातें मोक्षपदा नेलें ||

त्यापासूनि हे व्रत या कलियुगीं सकळां श्रुत झालें |

भावार्थे पूजितां सर्वा इच्छित लाधलें || २ ||




साधुवैश्यें संततिसाठी तुजला प्रार्थियलें |

इच्छित पुरतां मदांध होऊनि व्रत न आचरिलें |

त्या पापानें संकटी पडुनी दु:खहि भोगिलें |

स्मृति होउनि आचरितां व्रत त्या तुवांचि उध्दरिलें || ३ ||




प्रसाद विसरुनि पतिभेटीला कलावती गेली |

क्षोभ तुझा होतांचि तयाची नौका बुडाली |

अंगध्वजराजाची यापरि दु:खस्थिती आली |

मृतवार्ता शतपुत्रांची सत्वर कर्णी परिसली || ४ ||



पुनरपि पूजुनि प्रसाद ग्रहण करितां तत्क्षणी |

पतिची नौका तरली देखे कलावती नयनीं |

अंगध्वजरायासी पुत्र भेटति येऊनि |

ऐका भक्तां संकटि पावसि तुं चक्रापाणी || ५ ||




अनन्यभावे पूजुनि हें व्रत जे जन आचरति |

इच्छित पुरविसी त्यातें देउनि संतति संपत्ती |

संहरती भवदुरितें सर्वहि बंधने तुटती |

राजा रंका समान मानुनि पावसि श्रीपती || ६ ||




ऐसा तव व्रतमहिमा अपार वर्णू मी कैसा ||
भक्तीपुरस्सर आचरति त्यां पावसि जगदीशा |

भक्तांचा कनवाळू कल्पद्रुम तुं सर्वेशा |

मोरेश्वरसुत वासुदेव तुज विनवी भवनाशा ||




जय जय दीनदयाळा सत्यनारायण देवा || ७ ||

Satyanarayan Aarti Marathi श्रीसत्यनारायणाची आरती

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